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ज्योतिष शास्त्र में आपके पुरे जीवन को अलग अलग विशेष वर्षो में बाटा गया है । ज्योतिष में अष्टोत्तरी और विंशोत्तरी दो प्रकार की महादशाएँ मान्य हैं। अष्टोत्तरी अर्थात 108 वर्षों में सारे ग्रहों की दशाएँ समाप्त होती हैं तथा विंशोत्तरी अर्थात 120 वर्ष में सारे ग्रहों की दशाएँ समाप्त होती हैं। यह विशेष वर्ष अलग अलग ग्रहो के द्वारा संतुलित किये जाते है। आपके जीवन में आपकी कुंडली के योग कैसा फल देंगे वो किस गृह की महादशा चल रही है उस पे निर्धारित होता है। एक विशेष गृह की विशेष महादशा के बिना आपके कुंडली के योग फलित नहीं होंगे।
सूर्य ग्रहो के राजा है। सूर्य का आधिपत्य आत्मा के ऊपर होता है और हर मामले में चेतना शक्ति का संचारण करते है। व्यक्ति की देह संरचना , ह्रदय , आनुवंशिक लक्षण , गहरी आकांशा , चारित्र्य , कार्यसिद्धि , जीवन का उदय , भाग्य, व्यवसाय , सरकार , सत्ता पक्ष , अधिकार , यशकीर्ति ,मान सम्मान , नामांकित व्यक्तिगण ,अमिरवर्ग , पुरुष रिश्तेदार, पिता , पिता तुल्य व्यक्ति , भव्य ईमारत , सोना , मानेक , नारंगी रंग , सिंह , घोडा , बादाम , नौकरी , सरकारी नौकरी , ऊपरी अधिकारी के ऊपर सूर्य का आधिपत्य होता है।
सूर्य की स्थिति आपकी कुंडली में ठीक है तो इन सभी बाबतो में आपको सफलता मिलेगी और स्थिति अच्छी ना होने पर सूर्य महादशा या अन्तर्दशा में आपको परेशानिओ का सामना करना पड़ेगा।
हलाकि आपकी कुंडली में सूर्य किस राशि में बैठे है , किस भाव में बैठे है , सूर्य की डिग्री क्या है और अन्तर्दशा किस ग्रह की चल रही है , ये सब देखने के बाद ही सूर्य महादशा का फल निश्चित किया जाता है।
उपाय : सूर्य नारायण को अर्ध दे और रोज़ आदित्य ह्रदय स्त्रोत्र का पाठ करे।
चंद्र का सबंध व्यक्ति के मन के साथ होता है। मनुष्य जीवन में होने वाले परिवर्तनों को चंद्र दर्शाते है। व्यक्ति की शारीरिक इन्द्रियों , तंदुरस्ती , सवभाव ,रीतभात , प्रवाही वस्तुए , सार्वजनिक कार्य , स्थावर मिलकत , घर , प्रवास , दरियाई यात्राएं , जनता , स्त्री रिस्तेदार , माता , सन्तति जन्म , नदिया , चांदी , मोती , सफ़ेद रंग , हंस , आय , मानसिक स्थिति आदि पर चंद्र का आधिपत्य होता है।
चंद्र की स्थिति आपकी कुंडली में ठीक है तो इन सभी बाबतो में आपको सफलता मिलेगी और स्थिति अच्छी ना होने पर चंद्र महादशा या अन्तर्दशा में आपको परेशानिओ का सामना करना पड़ेगा।
हलाकि आपकी कुंडली में चंद्र किस राशि में बैठे है , किस भाव में बैठे है , चंद्र की डिग्री क्या है और अन्तर्दशा किस ग्रह की चल रही है , ये सब देखने के बाद ही चंद्र महादशा का फल निश्चित किया जाता है।
उपाय : पूनम का व्रत करे और ॐ नमः शिवाय मंत्र की रोज़ाना एक माला करे।
मंगल का सबंध व्यक्ति के साहस और पराक्रम के साथ होता है। मंगल मनुष्य जीवन में होने वाली चीज़ो की गति को दर्शाते है। व्यक्ति की रचनात्मक क्षमता या खण्डात्मक क्षमता , शक्ति , हिम्मत , भाई , जूनून , झगड़े , अकस्त्मात , बुखार , मकान , शस्त्रक्रिया , रक्त , ज़हर , युद्ध , अग्नि , युवानी , कामवासना , लूट , बदनामी , लोहा आदि पर मंगल का प्रभाव होता है।
मंगल की स्थिति आपकी कुंडली में ठीक है तो इन सभी बाबतो में आपको सफलता मिलेगी और स्थिति अच्छी ना होने पर मंगल महादशा या अन्तर्दशा में आपको परेशानिओ का सामना करना पड़ेगा।
हलाकि आपकी कुंडली में मंगल किस राशि में बैठे है , किस भाव में बैठे है , मंगल की डिग्री क्या है और अन्तर्दशा किस ग्रह की चल रही है , ये सब देखने के बाद ही मंगल महादशा का फल निश्चित किया जाता है।
उपाय : ॐ अंगारकाय नमः मंत्र का जाप करे और हर मंगलवार गाय को गुड़ खिलाये।
राहु का सबंध व्यक्ति के जीवन की अनिश्चित बाबतो पर होता है। मनुष्य जीवन में उचाई , वास्तविकता , चेपी रोग , त्वचा के दर्द , अधिकार , सरकार , राजकरण , परदेश , परदेशी भाषाएँ , विदूषक , समशान भूमि , जहर वाले जंतु आदि पर राहु का प्रभाव होता है। राहु की स्थिति आपकी कुंडली में ठीक है तो इन सभी बाबतो में आपको सफलता मिलेगी और स्थिति अच्छी ना होने पर राहु महादशा या अन्तर्दशा में आपको परेशानिओ का सामना करना पड़ेगा।
हलाकि आपकी कुंडली में राहु किस राशि में बैठे है , किस भाव में बैठे है , राहु की डिग्री क्या है और अन्तर्दशा किस ग्रह की चल रही है , ये सब देखने के बाद ही राहु महादशा का फल निश्चित किया जाता है।
उपाय : दुर्गा देवी की शरण में जाना ही राहु को शांत करने का उपाय है। रात को सोने से पहले दुर्गा कवच का पाठ करे।
गुरु का सबंध व्यक्ति की जीवन की हर एक शुभ बाबतो से है। मनुष्य जीवन में व्यक्ति की प्रगति और विकास , दंभ , पाचनक्रिया , आरोग्य , आशावाद , धन , पुत्र , समृद्धि , आबादी , भक्ति , वारसगत मिलकत , रमत - गमत , कार्यशीलता , बुज़ुर्ग , धर्मस्थल , पीला रंगा आदि पर गुरु का प्रभाव होता है। गुरु की स्थिति आपकी कुंडली में ठीक है तो इन सभी बाबतो में आपको सफलता मिलेगी और स्थिति अच्छी ना होने पर गुरु महादशा या अन्तर्दशा में आपको परेशानिओ का सामना करना पड़ेगा।
हलाकि आपकी कुंडली में गुरु किस राशि में बैठे है , किस भाव में बैठे है , गुरु की डिग्री क्या है और अन्तर्दशा किस ग्रह की चल रही है , ये सब देखने के बाद ही गुरु महादशा का फल निश्चित किया जाता है।
उपाय : योग और प्राणायाम को अपने जीवन में स्थान दे , धार्मिक होना या धार्मिक किताबे पढ़ना एक बेहतरीन उपाय है।
शनि का सबंध व्यक्ति के जीवन की कार्यनिष्ठा और शिष्टबद्दता से होता है। मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की स्थिरता , प्रतिकूलता , कष्ट , शारीरिक कष्ट , दुःख , कमनसीबी , गरीबी , आयुष्य , मृत्यु , जमीन , वृद्धावस्था , निवेश , व्यापर , अँधेरी जगह ,कला रंग आदि पर शनि का प्रभाव होता है। शनि की स्थिति आपकी कुंडली में ठीक है तो इन सभी बाबतो में आपको सफलता मिलेगी और स्थिति अच्छी ना होने पर शनि महादशा या अन्तर्दशा में आपको परेशानिओ का सामना करना पड़ेगा।
हलाकि आपकी कुंडली में शनि किस राशि में बैठे है , किस भाव में बैठे है , शनि की डिग्री क्या है और अन्तर्दशा किस ग्रह की चल रही है , ये सब देखने के बाद ही शनि महादशा का फल निश्चित किया जाता है।
उपाय : रोज़ाना हनुमान चालीसा का पाठ करना और प्रत्येक शनिवार हनुमान जी के दर्शन करने चाहिए।
बुध का सबंध व्यक्ति की बुद्धि और चातुर्य के साथ है। मनुष्य जीवन में व्यक्ति की अभिव्यक्ति की क्षमता , संजोगो के हिसाब से ढलने की क्षमता , यादशक्ति , वाणी , तर्कशक्ति , शिक्षा , लेखनकार्य , अभ्यास , वाहन , संचार के माध्यम , व्यापर और कारोबार , नेटवर्क सर्किल , बहन और बेटी , संगीत , हरा रंग आदि पर बुध का प्रभाव होता है। बुध की स्थिति आपकी कुंडली में ठीक है तो इन सभी बाबतो में आपको सफलता मिलेगी और स्थिति अच्छी ना होने पर बुध महादशा या अन्तर्दशा में आपको परेशानिओ का सामना करना पड़ेगा।
हलाकि आपकी कुंडली में बुध किस राशि में बैठे है , किस भाव में बैठे है , बुध की डिग्री क्या है और अन्तर्दशा किस ग्रह की चल रही है , ये सब देखने के बाद ही बुध महादशा का फल निश्चित किया जाता है।
उपाय : पक्षिओ को प्रत्येक दिन दाना दे और हर बुधवार गाय को घास खिलाये।
केतु का सबंध व्यक्ति के जीवन के पूर्वजन्म के कर्मो और उससे मिलने वाले फल के साथ होता है। मनुष्य जीवन में आध्यात्मिकता , निष्पक्ष , लघुता ग्रंथि , मानसिक रोग , अग्नि से होने वाले हादसे , वैद , भिक्षुक , संत , मोक्ष , चोट लगना आदि पर केतु का प्रभाव होता है। केतु की स्थिति आपकी कुंडली में ठीक है तो इन सभी बाबतो में आपको सफलता मिलेगी और स्थिति अच्छी ना होने पर केतु महादशा या अन्तर्दशा में आपको परेशानिओ का सामना करना पड़ेगा।
हलाकि आपकी कुंडली में केतु किस राशि में बैठे है , किस भाव में बैठे है , केतु की डिग्री क्या है और अन्तर्दशा किस ग्रह की चल रही है , ये सब देखने के बाद ही केतु महादशा का फल निश्चित किया जाता है।
उपाय : श्री गणेशजी के शरण में जाना एक अच्छा उपाय है। प्रत्येक दिन सुबह और शाम को गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करे।
शुक्र का सबंध व्यक्ति के जीवन की भौतिक सुख , समृद्धि , सौभाग्य और सौंदर्य से होता है। मनुष्य जीवन प्रत्येक क्षेत्र की एकसूत्रता , सुख कर शांति , कला , आनंद , धन , आकर्षण , प्रेमप्रसंग , सौंदर्य , लग्न , संतान , आभूषण , संगीत , युवती , भोग और विलास , आसमानी और गुलाबी रंग आदि पर शुक्र का प्रभाव होता है। शुक्र की स्थिति आपकी कुंडली में ठीक है तो इन सभी बाबतो में आपको सफलता मिलेगी और स्थिति अच्छी ना होने पर शुक्र महादशा या अन्तर्दशा में आपको परेशानिओ का सामना करना पड़ेगा।
हलाकि आपकी कुंडली में शुक्र किस राशि में बैठे है , किस भाव में बैठे है , शुक्र की डिग्री क्या है और अन्तर्दशा किस ग्रह की चल रही है , ये सब देखने के बाद ही शुक्र महादशा का फल निश्चित किया जाता है।
उपाय : महिला वर्ग का सम्मान करना और प्रत्येक शुक्रवार महा लक्ष्मी के मंदिर जाकर कपूर , कमल या गुलाब और शृंगार का दान करना एक उत्तम उपाय है।
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